Skip to main content

किसानों को ऋणमुक्त कर समृध्द बनाने के लिए हुए क्रांतिकारी फैसले



मध्यप्रदेश की कृषि प्रधान अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये जरूरी है कि किसान चिन्ता-मुक्त हो, उसके पास आमदनी के स्थाई इंतजाम हो और उसे समय पर आवश्यक वित्तीय सहयोग भी मिले। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने इस शाश्वत सत्य को सिर्फ स्वीकार ही नहीं किया है, बल्कि अपने प्रारंभिक अल्प-काल में ही इस दिशा में क्रांतिकारी फैसले लिये हैं और उन्हे जमीनी स्तर पर लागू भी किया है। सरकार ने अपने वचन-पत्र में किसान कल्याण और कृषि विकास के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सरकार ने सत्ता संभालते ही किसानों को पीढ़ियों के कर्जो से मुक्ति दिलाई है। साथ ही यह क्रम तब तक जारी रखने का संकल्प भी लिया है, जब तक प्रत्येक पात्र किसान कर्ज-मुक्त नहीं हो जाता। किसान को फसल बोने से लेकर फसल बेचने तक के काम में राज्य सरकार मदद कर रही है। बिजली, पानी आदि भी किसानों को रियायती दरों पर दिया जा रहा है।

जय किसान फसल ऋण माफी योजना-
प्रदेश में 'जय किसान फसल ऋण माफी योजना' लागू कर किसानों को ऋण-मुक्त करने का अभियान चलाया गया है। पहले चरण में 20 लाख 22 हजार 731 पात्र किसानों के 7154 करोड़ 36 लाख रूपये के ऋण माफ किये गये हैं। शीघ्र प्रारंभ किये जा रहे दूसरे चरण में 12 लाख से अधिक ऋण खाताधारक पात्र किसानों के ऋण माफ किये जाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

जय किसान समृ‍ध्दि योजना- 
प्रदेश में 5 मार्च 2019 को ''जय किसान समृ‍ध्दि योजना'' लागू की गई है। इस योजना में रबी सीजन 2019-20 के लिए कृषि उपज मंडी और ई-उर्पाजन केंद्र के माध्यम से किसान द्वारा विक्रय किये गये गेहूँ पर 160 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। राज्य सरकार ने कुल 92 लाख 67 हजार मीट्रिक टन गेहूँ विक्रय करने वाले कुल 11 लाख 79 हजार किसानों को कुल 1463 करोड़ 42 लाख प्रोत्साहन राशि देने की पुख्ता व्यवस्था की है।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये ''शुध्द के लिए युध्द"-
राज्य सरकार ने कृषि के क्षेत्र में विरासत में मिली बदहाल स्थिति को समृध्दता की ओर ले जाने का निश्चय किया है। किसानों को हर कदम पर हर तरह की मदद मुहैया कराई जा रही है। गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज और कीटनाशक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में ''शुध्द के लिए युध्द'' अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान न सिर्फ बीज, उर्वरक और कीटनाशक के मानक स्तर का परीक्षण किया जा रहा है, बल्कि कम मात्रा में सामग्री विक्रय, अनाधिकृत विक्रय, कालाबाजारी, अधिक मूल्य पर विक्रय आदि पर भी गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है।

मंडियों में नगद भुगतान की व्यवस्था-
कृषि उपज मंडी समितियों में किसानों को उनकी उपज बेचने पर दो लाख रूपये तक के नगद भुगतान की व्यवस्था की गई है। बैंकों से एक करोड़ रूपये से अधिक नगद आहरण पर टीडीएस कटौती के आयकर प्रावधानों से मंडियों में नगद भुगतान कठिनाई आई, तो तुरंत भारत सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया। इस तरह मंडी व्यापारियों को इस प्रावधान से मुक्त कराने की पहल की गई है।

ई-नाम योजना से जुड़ी कृषि उपज मंडियाँ- 
राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के व्दितीय चरण में राज्य सरकार द्वारा 25 कृषि उपज मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़ा गया है। मंडी बोर्ड द्वारा 16 अगस्त 2019 से प्रदेश की सभी मंडियों में एक साथ ई-अनुज्ञा प्रणाली लागू कर 4 लाख से ज्यादा ई-अनुज्ञा जारी किये गए हैं। इससे मण्डी व्यापारियों का समय बचा है। प्रदेश में 27 मण्डी प्रांगण में सोलर एनर्जी प्लांट भी स्थापित किये गये हैं। कृषकों को मण्डी प्रांगण में संतुष्टि अनुरूप मूल्य प्राप्त नहीं होने पर चार माह की निःशुल्क सुविधा और 80 प्रतिशत राशि कृषि उपज का भुगतान करने के लिये कोलेटेरल मैनेजमेंट एजेंसीस के चयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

किसानों को सस्ती बिजली-
प्रदेश में किसानों के लिये दस हॉर्स पॉवर तक के कृषि पंप की विद्युत दरों को आधा कर दिया गया है। पूर्व मे निर्धारित 1400 रूपये प्रति हॉर्स पॉवर प्रतिवर्ष कृषि पंप की विद्युत दर को अब आधा कर 700 रूपये कर दिया गया है। इससे लगभग 20 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना में प्रति कृषि उपभोक्ता लगभग 47 हजार रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी भी दी जा रही है। राज्य सरकार ने अब तक 2622 करोड़ 53 लाख रूपये सब्सिडी प्रदान की है। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक 20 लाख 10 हजार कृषि पंपों के लिए करीब 6138 करोड़ रूपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।  स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के अतिरिक्त अस्थायी कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरें भी कम की गई हैं।

अजजा/अजा किसानों को नि:शुल्क बिजली-
प्रदेश में अब एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 5 हार्सपॉवर तक के कृषि पंप कनेक्शनों के लिये निःशुल्क बिजली दी जा रही है। इसके एवज में राज्य सरकार बिजली कंपनियों को 3800 करोड़ रूपये वार्षिक सब्सिडी देगी। 

जैविक खेती-
जैविक खेती के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में नंबर-वन राज्य बन गया है। एपीडा के अनुसार प्रदेश में 2 लाख 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास, गेहूँ, धान, अरहर, चना, सोयाबीन इत्यादि फसलों की जैविक खेती की जा रही है। जैविक खेती के दृष्टिकोण से गौ-शालाएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-शालाओं का निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश का किसान अब निश्चिंत होकर कृषि कार्य में जुट गया है। कृषि की नई-नई तकनीक अपनाने लगा है। उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में भी सक्रिय हो गया है।

Comments

Popular posts from this blog

शक्तिशाली मध्यप्रदेश के लिए रखें बड़ी सोच-कमल नाथ

  एक साल बीत गया। सरकार की स्थिरता के सम्बन्ध में  तमाम अटकलों  का अंत हो गया है। मैंने बार-बार दोहराया   कि जब से हमारी सरकार सत्ता में आई है, यह सरकार लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों का प्रतिबिंब है। लोग चाहते थे कि उनकी पसंद का एजेंडा लागू हो, न कि उन पर कोई एजेंडा थोपा जाए। लोगों के फैसले का सम्मान स्वस्थ रूप से किया जाना चाहिए। यदि हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, तो हमें लोगों की  पसंद और उनके विवेक  का सम्मान करना चाहिए। मैंने मध्य प्रदेश को अपार अवसरों और संभावनाओं के प्रदेश के रूप में देखा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, मध्य प्रदेश के लोगों ने जो पाया उससे कहीं ज्यादा बेहतर के हक़दार है। मुझे लगता है कि विकास की प्रक्रियाओं का विश्लेषण करते समय अच्छे और बुरे समय बिंदुओं की परस्पर तुलना करना उचित और तार्किक नहीं होगा क्योंकि हर समय बिंदु पर प्राथमिकताएँ बदलती रहती हैं।  नए-नए परिदृश्य उभरते  हैं और नए रास्ते खुलते जाते हैं। नए क्षेत्र खुलते हैं। इसलिए अंधेरे को कोसने  से अच्छा   रोशनी करना बेहतर है। अतीत को को...

माफिया के आतंक के खिलाफ लामबंद हुई कमल नाथ सरकार

जन मानस को मिलेगी राहत, माफिया के खिलाफ तेज होगी मुहिम   मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय बैठक 12 दिसम्बर भोपाल : कमल  नाथ सरकार ने अपने मात्र एक साल के कार्यकाल में वर्षों से माफिया राज के आतंक का दंश झेल रही आम जनता को इससे मुक्त कराने की मुहिम को तेज करने के लिए 12 दिसंबर को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि अब प्रदेश में 'लोगों के लिए लोगों की सरकार' चलेगी न कि माफिया राज। जनसम्पर्क मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि मात्र एक साल में माफिया राज की कमर तोड़ने का जो साहस मुख्यमंत्री ने दिखाया है, उससे जनता को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि माफिया, शासन-प्रशासन को ताक पर रखकर पूरे प्रदेश में दशकों से  समानांतर सरकार चला रहे थे, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही थी और विकास अवरूद्ध हो रहा था। श्री शर्मा ने कहा कि माफिया के खिलाफ जनमानस के साथ कमर कसकर खड़ी कमल नाथ सरकार ने मिलावटखोरों के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' की शुरुआत की। आम जनता को जहर परोस रहे...