मध्यप्रदेश ने पिछले एक साल में न केवल एक बार फिर देश में टाइगर स्टेट होने का गौरव प्राप्त किया है, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के साथ वन, वन्य प्राणी संरक्षण और वनवासियों के उत्थान के सतत प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। गुजरात के गिर में बचे हुए एशियाटिक लायन को विलुप्ति से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कूनो अभयारण्य में कुछ सिंहों की शिफ्टिंग के लिये भी राज्य सरकार लगातार सक्रिय है। प्रदेश में वनोपज का उत्पादन पिछले वर्ष से अधिक हुआ है। इस वर्ष 2.73 लाख घन मीटर इमारती लकड़ी, 1.62 लाख घन मीटर जलाऊ चट्टे और 34 हजार नोशनल टन बाँस का उत्पादन हुआ है, जो विगत वर्ष की तुलना में इमारती लकड़ी के लिये 56 प्रतिशत, जलाऊ लकड़ी के लिये 30 प्रतिशत और बाँस में 26 प्रतिशत अधिक है। 526 बाघ के साथ म.प्र. फिर देश में प्रथम- अखिल भारतीय बाघ आंकलन के 29 जुलाई 2019 को घोषित परिणाम में 526 बाघ के साथ मध्यप्रदेश पुन: देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2014 में हुई गणना में 306 बाघ आंकलित हुए थे। प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व-पेंच, कान्हा और सतपुड़ा देश में प्रबंधकीय दक्षता में