Skip to main content

माफिया के आतंक के खिलाफ लामबंद हुई कमल नाथ सरकार

जन मानस को मिलेगी राहत, माफिया के खिलाफ तेज होगी मुहिम मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय बैठक 12 दिसम्बर


भोपाल : कमल नाथ सरकार ने अपने मात्र एक साल के कार्यकाल में वर्षों से माफिया राज के आतंक का दंश झेल रही आम जनता को इससे मुक्त कराने की मुहिम को तेज करने के लिए 12 दिसंबर को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि अब प्रदेश में 'लोगों के लिए लोगों की सरकार' चलेगी न कि माफिया राज।

जनसम्पर्क मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि मात्र एक साल में माफिया राज की कमर तोड़ने का जो साहस मुख्यमंत्री ने दिखाया है, उससे जनता को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि माफिया, शासन-प्रशासन को ताक पर रखकर पूरे प्रदेश में दशकों से  समानांतर सरकार चला रहे थे, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही थी और विकास अवरूद्ध हो रहा था।

श्री शर्मा ने कहा कि माफिया के खिलाफ जनमानस के साथ कमर कसकर खड़ी कमल नाथ सरकार ने मिलावटखोरों के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' की शुरुआत की। आम जनता को जहर परोस रहे मिलावटखोर माफियाओं की धर-पकड़ से पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर कार्यवाही हुई। अभियान के दौरान मिलावटखोरों के खिलाफ 94 एफआईआर दर्ज की गई और 31 कारोबारियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई हुई।
मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की नई रेत नीति बन जाने से अभी तक प्रदेश की रेत संपदा लूटने और प्रदेश की जनता के हितों से कुठाराघात करने वाले माफिया के हौसले पस्त हो गए हैं। शासन-प्रशासन पर हमले कर और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कर बेखौफ रेत माफिया को एक ही फैसले से मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने ध्वस्त कर दिया है। यही नहीं, नई रेत नीति से प्रदेश को जो राजस्व करीब 200 करोड़ मिलता था, वह इस वर्ष बढ़कर 1234 करोड़ तक पहुँच गया है। पिछले 15 साल से 15 हजार करोड़ रुपए किसकी जेब में जा रहे थे, इसका खुलासा भी मुख्यमंत्री ने नई रेत नीति बनाकर किया है। अब ये पैसा निजी हाथों में जाने के बजाए प्रदेश के विकास और जनता के हितों के लिए उपयोग होगा। 
जनसम्पर्क मंत्री ने कहा कि किसानों को मिलावटी खाद बेचने वाले माफियाओं से मुक्त कराने के लिए भी मुहिम पूरे प्रदेश में चल रही है। पिछले एक माह में 1313 उर्वरक विक्रेताओं और गोदामों का निरीक्षण कर लिए गए नमूनों में 110 प्रकरणों में मिलावट पाए जाने पर कार्रवाई की गई है।
श्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि इतना ही नहीं, कमल नाथ सरकार ने विभिन्न शहरों में अपने रसूख और माध्यमों का दुरुपयोग करके अनैतिक गतिविधियाँ चलाने, सरकारी और निजी जमीनों पर कब्जे कर अपना साम्राज्य बनाने वाले तथा इंदौर और ग्वालियर में भी माफिया के खिलाफ सारे दबावों के बावजूद सख्ती दिखाई है और कठोर कार्यवाही भी सुनिश्चित की है। इस दृढ़तापूर्ण कार्रवाई के पीछे एक ही लक्ष्य था कि अब माफिया को प्रदेश की जनता और यहाँ की सरकारी संपदा को लूटने की इजाजत नहीं होगी। 
मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि जो नेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से माफिया के समर्थन में बयान देकर उनका संरक्षण कर रहे हैं, उनकी गतिविधियों से यह स्पष्ट है कि 15 साल में ये माफिया किनके संरक्षण में पनपे हैं। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश में माफिया राज को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की अध्यक्षता में 12 दिसंबर को उच्च स्तरीय बैठक होने जा रही है। इस बैठक में गृह मंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (गुप्त वार्ता) एवं एसआईटी, आईजी एवं कमिश्नर जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, कलेक्टर इंदौर एवं कमिश्नर इंदौर नगर निगम उपस्थित रहेंगे। 

Comments

Popular posts from this blog

शक्तिशाली मध्यप्रदेश के लिए रखें बड़ी सोच-कमल नाथ

  एक साल बीत गया। सरकार की स्थिरता के सम्बन्ध में  तमाम अटकलों  का अंत हो गया है। मैंने बार-बार दोहराया   कि जब से हमारी सरकार सत्ता में आई है, यह सरकार लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों का प्रतिबिंब है। लोग चाहते थे कि उनकी पसंद का एजेंडा लागू हो, न कि उन पर कोई एजेंडा थोपा जाए। लोगों के फैसले का सम्मान स्वस्थ रूप से किया जाना चाहिए। यदि हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, तो हमें लोगों की  पसंद और उनके विवेक  का सम्मान करना चाहिए। मैंने मध्य प्रदेश को अपार अवसरों और संभावनाओं के प्रदेश के रूप में देखा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, मध्य प्रदेश के लोगों ने जो पाया उससे कहीं ज्यादा बेहतर के हक़दार है। मुझे लगता है कि विकास की प्रक्रियाओं का विश्लेषण करते समय अच्छे और बुरे समय बिंदुओं की परस्पर तुलना करना उचित और तार्किक नहीं होगा क्योंकि हर समय बिंदु पर प्राथमिकताएँ बदलती रहती हैं।  नए-नए परिदृश्य उभरते  हैं और नए रास्ते खुलते जाते हैं। नए क्षेत्र खुलते हैं। इसलिए अंधेरे को कोसने  से अच्छा   रोशनी करना बेहतर है। अतीत को कोसने की अपेक्षा भविष्य की ओर आगे देखना बेहतर है। हमें नए क्ष

किसानों को ऋणमुक्त कर समृध्द बनाने के लिए हुए क्रांतिकारी फैसले

मध्यप्रदेश की कृषि प्रधान अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये जरूरी है कि किसान चिन्ता-मुक्त हो, उसके पास आमदनी के स्थाई इंतजाम हो और उसे समय पर आवश्यक वित्तीय सहयोग भी मिले। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने इस शाश्वत सत्य को सिर्फ स्वीकार ही नहीं किया है, बल्कि अपने प्रारंभिक अल्प-काल में ही इस दिशा में क्रांतिकारी फैसले लिये हैं और उन्हे जमीनी स्तर पर लागू भी किया है। सरकार ने अपने वचन-पत्र में किसान कल्याण और कृषि विकास के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सरकार ने सत्ता संभालते ही किसानों को पीढ़ियों के कर्जो से मुक्ति दिलाई है। साथ ही यह क्रम तब तक जारी रखने का संकल्प भी लिया है, जब तक प्रत्येक पात्र किसान कर्ज-मुक्त नहीं हो जाता। किसान को फसल बोने से लेकर फसल बेचने तक के काम में राज्य सरकार मदद कर रही है। बिजली, पानी आदि भी किसानों को रियायती दरों पर दिया जा रहा है। जय किसान फसल ऋण माफी योजना- प्रदेश में 'जय किसान फसल ऋण माफी योजना' लागू कर किसानों को ऋण-मुक्त करने का अभियान चलाया गया है। पहले चरण में 20 लाख 22 हजार 731 पात्र किसानों के 7154 करोड़ 36 लाख रूपये के

राष्ट्रपति भवन में 14 दिसंबर को केंद्रीय विश्वविद्यालयो के कुलपतियों और उच्च अध्ययन संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलन का आयोजन

राष्ट्रपति भवन में 14 दिसंबर,2019 को केंद्रीय विश्वविद्यालयो के कुलपतियों और उच्च अध्ययन संस्थानों के निदेशको के सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद 152 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च अध्ययन संस्थानो के विजिटर भी हैं, और यह सम्मेलन उनके नियमित संवाद का एक भाग है। सम्मेलन के दौरान विभिन्न उपसमूह अनुसंधान को प्रोत्साहन,छात्रो के बीच नवाचार और उद्यमशीलता को प्रोत्साहन,उद्योग-शैक्षणिक जगत के बीच संबंध विकसित करने पर प्रस्तुति देंगे। इससे साथ ही विदेशी विश्वविद्यालयो से प्राध्यापक पद भरने सहित रिक्तियों को भरने,भूतपूर्व छात्र निधि का सृजन करने और भूतपूर्व छात्रो से जुड़ी गतिविधियों को बढाने और अहम आधारभूत ढांचे को समय पर पूरा करने पर भी प्रस्तुति दी जाएगी। सम्मेलन में 46 उच्च अध्ययन संस्थानों के प्रमुखो के साथ-साथ रसायन और उर्वरक,कृषि और किसान कल्याण, मानव संसाधन,वाणिज्य और उद्योग,पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री,संबंधित विभागों के सचिव और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद(एआईसीटीई) के अध्यक्ष भी भाग लेंगे।